Thursday, November 4, 2010

दीपावली की पूर्व संध्या पर

आज छोटी दीपावली है कल बडी होगी लोग मशगूल है अपनी तरह से उत्सवधर्मिता को जीने में मैने भी शहर का एक चक्कर लगाया है सारा बाजार अटा पडा है भीड भडाका खुब है शहरी महिलाओं के हाथों मे गिफ्ट हैम्पर देखकर मुझे अपना गांव याद आ रहा है जहाँ पर मित्रों सम्बन्धियों को आपस मे मेल मिलाप के लिए हाथ मे मिठाई का डिब्बा होना अभी तक जरुरी नही होता है सब मिलते है बस आत्मीयता के साथ। ये मेरे जीवन की पहली दीपावली है जिस पर मै अपने गांव नही गया हूं सो शहर मे एक अजनबीपन का शिकार भी हूं वैसे मैने अपने शहर के मित्रों,परिचितों को यह सूचना नही दी है कि मै शहर मे छिपा बैठा हुआ हूं वजह बस इसकी भी यही है कि मुझे ये गिफ्ट हैम्पर का लेन-देन ठीक नही लगता सब कुछ औपचारिक बाजार और दिखावे की रस्मों पर केन्द्रित दूनियादारी की रस्म रिवाज़ के मामले मे मै बडा काहिल-जाहिल किस्म का इंसान हूं।

पिछले दो दिन से आवारा की डायरी के पन्ने कोरे पडे हुए थे सो आज यह रस्म पूरी कर रहा हूं ताकि मेरे नियमित लेखन के दावे की हवा न निकल सके।
दो दिन पहले जो स्पाईस का डबल सिम का फोन मैने जितने चाव के साथ खरीदा था आज उसे उतनी ही उदासीनता के साथ उसे गांव रवाना करके आया हूं आनन-फानन में कूरियर करके आया हूं शायद गांव मे उसकी सही गति हो सके।
छोटे भाई को सूचना भी दे दी है कि पार्सल छूडा ले और किसी उत्साही युवा के मत्थे मेरी नामसमझी को मढ दें इतना चालाक भी हूं मै...। मेरी नामसमझी के कारण अक्सर ऐसे छोटे मोटे आर्थिक नफा नुकसान मैने बहुत उठाए है ये सब तो चलता ही रहता है दूनियादारी में...।
आज मैने एक मुखी से लेकर पन्द्रह मुखी तक के रुद्राक्षों का एक कंठा धारण किया है अब देखता हूं कि भगवान आशुतोष की कृपा होती है या नही...मैने सुबह धारण करने से पूर्व अपने भक्तिहीन,क्रियाहीन होने की आप कबूली की और प्रार्थना की भगवान मुझे सदबुद्दि प्रदान करें...। शेष ईश्वर की इच्छा...राम की बातें राम ही जाने कह गये भईया लोग सयानें!
डा.अजीत

1 comment:

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    इश्वर आपको सद्बुद्धि दे।

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