Wednesday, April 6, 2016

स्कूल डेज़

हम तो खैर पांचवी तक परिषदीय प्राईमेरी पाठशाला में पढ़ें उसके बाद पास के कस्बे के इंटरमीडिएट कालेज (सीनियर सैकण्डरी स्कूल) में बारहवीं तक पढ़ाई की वहां सब के सब टीचर मेल ही थे जो सदा 'ज्ञानदेई' से हमारी मरम्मत को तत्पर रहतें थे। किसी फीमेल टीचर ने हमें स्कूल लेवल में नही पढ़ाया।
हायर एजुकेशन में हॉस्टल के दिनों में जो साथी कान्वेंट स्कूल से पढ़कर आए थे उनके किस्सों में दो बातें आम हुआ करती थी कि क्लास में हिंदी बोलनें पर फाइन लगता था और उनकी लाइफ का पहला 'क्रश' स्कूल के दिनों में किसी मैडम पर रहा होता था।
तब ये उनके क्रश के किस्से सुनकर मुझे अचरज हुआ करता था मगर बाद में इस बात का साधारणीकरण हो गया। अचरज इसलिए भी होता था प्लस टू तक हमनें अपने जीवन के क्रूरतम टीचर(हालांकि हम आजतक उनका दिल से सम्मान करते है) देखे थे इंटर कालेज में क्लास रूम में जो जितनी कड़ी पिटाई करें वो उतना ही अनुशासनप्रिय और प्रभावी टीचर होता था। हमारे प्रिंसिपल और चीफ प्रॉक्टर की बेंत मुझे आजतक याद है।
एक तरफ हम पिट कर सीख रहें थे वही दूसरी तरफ हमारे कुछ कान्वेंट स्कूल में पढ़े दोस्त एटिकेट्स कानशिएस,इंग्लिश स्पोकन में माहिर हो रहे थे ऐसे में उनका खूबसूरत टीचर के प्रति पहला क्रश होना अस्वाभाविक नही कहा जा सकता है। दो अलग अलग डिस्प्लीन से निकलें बच्चों के अनुभव एकदम अलहदा थे। जेंडर को लेकर हमारे संकोच बेहद गहरे थे तो वही इंग्लिश मीडियम कान्वेंट में पढ़े बच्चों के पास अपनी महिला टीचर को आर्चीज के कार्ड देने और उनके प्रोमिल स्नेह के बड़े रागात्मक किस्से हुआ करते थें।
हमारे लिए वो दुनिया किसी फंतासी से कम नही थी क्योंकि एक तरफ हमारे पिछवाड़े ज्ञानदेई से दीक्षित थे और हमारी नसों में टीचर्स का आतंक भरा सम्मान दौड़ रहा था वही दूसरी तरफ कुछ दोस्त मैडम की ड्रेसिंग सेंस और स्माइल की तारीफ़ के बदलें 'हग' का लुत्फ़ लेकर आए थे वो अपनी मैडम टीचर्स के डियो की खुशबू से लेकर हैंकी का रंग तक बता सकते थे और हम केवल ये जानते थे कि जिस दिन त्यागी जी (हमारे भूगोल टीचर) के सामने क्लास में ये न बता पाएं कि उष्ण कटिबन्धीय और सम शीतोष्ण में क्या अंतर है? उसदिन उंगलियो के पोरों पर ऐसे बेंत मारते कि बहुत देर तक जलन न मिटती थी और हम मारे पुरुषोचित्त अभिमान के क्लास में रो तक न सकते थे बस बैंच पर बैठ उंगलियों पर ऐसे फूंक मारते मानो जल गई हो।

'स्कूल डेज़'