Monday, November 8, 2010

हादसा: एक कडवी याद

पिछले तीन दिनों से इस डायरी मे कुछ नही लिखा गया है जिसके वजह दीपावली की रात को पटाखों के शोर के बीच मेरी ससुराल में मेरे साले के साथ एक बेवजह का हादसा हो गया जहाँ सब लोग खुशियां बांट रहे थे वही मेरे ससुराल पक्ष मे एक आकस्मिक आपदा आ पडी जिससे मै भी प्रभावित रहा हूं बहुत बेतरतीब और आपाधापी मे कटे पिछले तीन दिन...। हुआ यूं कि मेरे साले साहब पटाखें छुडाते-छुडाते हुए गंभीर रुप से घायल हो गयें उम्र कुछ ज्यादा नही है अमित की इसलिए इसे थोडा बचपना भी कहा जा सकता है कि उसने उस शोर शराबे के दिन न जाने क्या सूझी कि पटाखों के साथ अपनी पिस्टल से भी फायर करने छत पर पहूंच गया साथ मे दो चार बच्चे और पारिवारिक लोग भी कौतुहलवश पहूंच गये...और एक मिस फायर के चक्कर मे पिस्टल को देखने और खोलने की असावधानी मे गोली सी बांह को चीरती हुई छाती के पास से निकल गई..आनन फानन मे प्राथमिक चिकित्सा के बाद स्थानीय अस्पताल ले जायेगा लेकिन गोली लगने की वजह से खुन बहुत निकल गया था गोली आर-पार हो गई अच्छी बात यह रही कि हड्डी बच गई बस मांस को चीरा उसने और छाती भी बच गई...।

हमे तो अगले दिन सुबह फोन से ये सूचना मिली बडी अजीब स्थिति हो गई थी क्योंकि जैसाकि मैने पहली पोस्ट मे लिखा है कि इन दिनों मेरी साली भी मेरे यहाँ आई हुई थी सो दोनो बहनें अपने भाई के अनिष्ट की कल्पना कर-करके बुरा हाल थी फिर मैने जैसे तैसे थोडा ढांडस बंधाया और उन दोनो को टैक्सी के माध्यम से उनके घर भेजा..और मै अस्पताल के लिए रवाना होने की तैयारी करने लगा...।

मेरे साथ एक दुविधा यह भी थी कि मेरा उस दिन का अप्याईंटमेंट पहले से ही ऋषिकेश मे किस्सी सज्जन के साथ फिक्स था मै तो सुबह सुबह उठ कर जाने की तैयारी मे लगा हुआ था कि तभी यह दुर्घटना का समाचार मिल गया मै किंकर्तव्यविमूढ हो गया था एक तरह मेरी ज़बान का सवाल तो एक तरफ अस्पताल मे गंभीर रुप से घायल साला...खैर ! जैसे तैसे मैने परिस्थितियों मे सामंजस्य बैठाया और पहले पत्नि को उसके घर भेजा और फिर पहले ऋषिकेश गया वही से सीधा अस्पताल पहूंचा...।

जब मै अस्पताल मे पहूंचा तब अमित आपरेशन थियेटर मे था जैसा मुझे बताया गया कि दिन के 3 बजे से आपरेशन चल रहा है एमएस डाक्टर के अलावा के एक प्लास्टिक सर्ज़री की स्पेशलिस्ट डाक्टर बुलाया गया है देहरादून से..।

आपरेशन के दौरान अस्पतालीय अवसाद के ग्रसित सभी परिजनों की मनोदशा मे मै भी शरीक हो गया था शाम को लगभग 7.30 के आसपास डाक्टर ने ब्रीफिंग की और बताया कि आपरेशन सफल रहा है और जो आंतरिक इंजरी हुई है उसको ठीक प्रकार से रिपेयर कर दिया गया है...तब जा कर सबने राहत की सांस ली।

मै देर रात से हरिद्वार पहूंचा वो दिन मानसिक और शारीरिक रुप से बहुत थकान से भरा था सो मै जल्दी ही सो गया।

उसके बाद से अस्पताल,घर,फोन,अपडेट का सिलसिला इन तीन दिनों मे चलता रहा मै आज फिर से अमित को देखने अस्पताल गया था अभी भी वो आईसीयू मे ही है ज्यादा खुन बहने के कारण उसके खुन मे हीमाग्लोबिन का स्तर बहुत कम हो गया था सो उसको चार यूनिट खुन चढाया गया है आज फिर से दो यूनिट खुन चढाया गया है वो धीरे-धीरे रिकवर कर रहा है आज मै उससे मिला तो मुझे देखकर उसकी आंखे भरा आई मैने उसका ढांड्स बंधाया और कहा कि होनी बलवान होती है कोई बात नही बुरा वक्त था गुज़र गया सब ठीक हो जायेगा इसके बाद बडे बोझिल मन से मै भी आईसीयू से बाहर निकल आया।

त्यौहारों पर बनी कडवी यादों का कारंवा बहुत दूर तक जिन्दगी मे साथ जाता है उसका सारा परिवार मर्माहत है और परेशान भी बस ऐसे मुश्किल वक्त मे मै तो ईश्वर से यही प्रार्थना कर सकता हूं ईश्वर उन्हे इस हादसे से उबरने की शक्ति प्रदान करें...।

कल शायद पत्नि भी हरिद्वार वापिस आ जाएं क्योंकि बालक का स्कूल खुल गये हैं। अमित को अभी एक सप्ताह तक और अंडर मेडिकल सुपरविज़न अस्पताल मे रहना पडेगा।

मैने अभी बालक के स्कूल वैन वाले को फोन करके यह सूचना दी है कि राहुल परसों से स्कूल जाएगा..।

आज इतना ही बाकि कल...

डा.अजीत

No comments:

Post a Comment