Saturday, September 25, 2010

आवारागर्दी

खुद को आवारा कहने का जो सुख है उसे शब्दों से बखान नही किया जा सकता हैं। एक उम्र थी जब घर वाले सोचते थे कि बेटा आवारा न हो जाए सो इसे कुसंग से बचाया जाए,एक आज है जो मै खुद को आवारा घोषित करते हुए बडा फख्र महसूस कर रहा हूँ। इंटरनेट की आभासी दूनिया मे मै पिछले तीन सालो से ब्लाग लेखन कर रहा हूँ,पहला ब्लाग कविता,गज़ल का लिखना शुरु किया था फिर उसके बाद अपनी फक्कडी के किस्से सुनाने के लिए खानाबदोश लिखना शुरु किया और उसके बाद परामनोविज्ञान और परलोकवाद पर आधारित ब्लाग परामनोविज्ञान का जन्म हुआ। पूर्णरुपेण मुक्ताकाशी लेखन करने के बाद भी मे मेरे अग्रज ब्लागर बन्धुओं की टिप्पणियों के मामले मे निर्धन ही रहा हूं। किसी भी ब्लाग पर एक दर्जन से ज्यादा कमेंट्स कभी नही मिले उसी एक वजह यह भी रही है कि ब्लागजगत के टिप्पणी आदान-प्रदान परम्परा के मामले मे मै थोडा प्रमादी और ढीठ किस्म का हूँ। इसलिए आवारा की डायरी से भी मुझे कुछ ज्यादा उम्मीद नही है लेकिन बस लोग पढते रहें ये ही काफी मेरे लिए जो टिप्पणी रुपी प्रसाद देना चाहे उसका स्वागत है।

दरअसल,मेरे कुछ अज़ीज दोस्तो को मुझ से यह शिकायत है कि मै सम्बन्धो का भावनात्मक मुजरा ब्लाग पर पेश करता हूँ मतलब निजी बातें लिखता हूं जबकि ब्लाग का विषय अलग है, सो मैने अब फैसला किया है कि एक ब्लाग अलग से इसी काम के लिए लिखा जाएगा जिसमे मेरी निजता के किस्से होंगे,बद से बदनाम बुरे वाली बात है।

मेरा उद्देश्य किसी का अपमान,निजता का हनन कतई नही है और न ही किसी व्यक्ति विशेष से कोई खुन्नस है जो मै उमराव जान अदा बन कर लखनवी अंदाज मे मुजरा करुं।

ये ब्लाग मेरी खुली डायरी है इसमे निजी जैसा कुछ भी नही है मेरी रोजमर्रा की जिन्दगी मे जो मेरे अहसास होंगे वे इस पर बेखौफ लिखे जाएंगे ये अलग बात है कि वो अहसास सुखद हो सकते है और कडवे भी...।

जनाब वसीम बरेलवी के इस शेर के साथ आगाज़ करता हूं...

मेरे शेरों को तेरी दुनिया में

मेरे दिल का गुबार लाया है

मेरे शेरों को गौर से मत सुन

उनमें तेरा भी ज़िक्र आया है...।

अभी इतना ही शेष फिर....

डा.अजीत

8 comments:

  1. आगा़ज़ तो अच्छा है...आपकी अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा...ताकि हम भी पढ़ सकें....डा. साहब टाइप करते वक्त दुनिया की जगह दूनिया हो गया है ....कृपया सुधार लीजिए...

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  2. आप का प्रोफ़ाइल पढ़ा और दूसरे ब्लोग भी देखे। मुझे लगता है कि आप को जो शिकायत है कि एक दर्जन से ज्यादा कभी टिप्पणियां नहीं मिलीं उसका सिर्फ़ एक ही कारण 'टिप्पणियों का लेन देन' नहीं है। पर हम कोई सलाह नहीं देगें आप ने लिखा है कि न सलाह देते हैं न लेते हैं…:)हाँ ये जरूर जानना चाहेगें कि आप का पी एच डी का विषय क्या था। जिज्ञासा इस लिए है कि मेरा भी थोड़ा बहुत मनोविज्ञान से सरोकार है…।:)

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  3. बहुत अच्छी पोस्ट लगी धन्यवाद|

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  4. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  5. हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  6. great aavara ji/ dr ajit ji. i am also student of parapsychology an a ESP, enjoyed

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  7. ब्लाग जगत की दुनिया में आपका स्वागत है।

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