....वैसे तो वह मेरा गुरु भाई है मतलब मैने जिस गुरु जी के निर्देशन मे मनोविज्ञान मे पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की है वह भी उन्ही के निर्देशन मे पी.एच.डी. कर रहा है लेकिन मुझे बडा भाई और गुरुपद के समान ही मान सम्मान देता है नाम है अमित शर्मा शोध प्रबन्ध जमा किया हुआ है जल्दी ही डाक्टर होने वाला है मेरी तरह से देहाती है लेकिन सपनें आसमान छूने के हैं काफी संघर्ष करके पढा है और सेल्फ मेड किस्म का भावुक लडका है,इसलिए मुझे प्रिय भी है छोटी आंखो मे बडे सपने देखने वाले दुस्साहसी लोग मुझे अच्छे लगते बशर्ते अपनी शर्तो पर जीतें हो..। अमित भी ऐसा ही है मुजफ्फरनगर के गांव से निकला है और इरादा मुबंई मे फिल्मजगत मे छाने का है उसी लगन,समर्पण और प्यास मुझे उसकी तारीफ करने को मजबूर कर रही है हालांकि अभी थोडा बचपना है लेकिन फिर भी हौसला बहुत है। उसकी हर दूसरी बात से फिल्मजगत का जिक्र बखुद निकल आता है एकाध देहाती फिल्में बना भी चूका है अब लम्बी रेस मे दौडने की तैयारी मे है, उसने अपनी आरकुट प्रोफाईल पर एक विचार के रुप कुछ पंक्तियां लिखी थी जो उसकी मौलिक नही है बकौल उसके उसने भिन्न-भिन्न पत्रिकाओं से सकंलित करके उनको एक विचार के रुप मे जोड दिया है। यह विचार मुझे भी बहुत अच्छा लगा और बेरंग ज़िन्दगी मे एक हल्का सा सतरंगी रेनबो बना जाता है सो बिना अमित से औपचारिक अनुमति लिए मै यह उधार का विचार यहाँ प्रकाशित कर रहा हूं...इस उम्मीद के साथ की आपको भी पसंद आयेगा...।
“आई आई ऍम अहमदाबाद से पी.एच.डी. करने वाली नृत्यांगना मल्लिका साराभाई हो, या आई आई टी दिल्ली से स्नातक करने वाले उपन्यासकार चेतन भगत, इंजीनयरिंग ग्रेजुएट से गायक बने शंकर महादेवन हो, या पलाश सेन का डॉक्टर से गायक में तब्दील हो जाना, इतिहास से ऍम फिल करने वाले रोड्स स्कॉलर महमूद फारूकी का दास्तानगो बनना हो या फिर ट्विंकल खन्ना का अभिनेत्री से इंटीरिअर डेकोरेटर बन जाना, इंजीनिअर रघु रॉय का फोटोग्राफर बनना, या क्लासिकल डांसर से मिताली राज का क्रिकेटर बनना या फिर इंटरनेशनल अफेयर से पी.एच.डी. करने वाले दिलीप कपूर की लग्जरी बैग का बिजनेस शुरू करने की कहानी हो, ये सब एक ही बात की ओर इशारा करते हैं कि आज ये लोग जिस मुकाम पर हैं उसमे उनकी डिग्री से ज्यादा उनकी रूचि ने भूमिका अदा की. आपका अपना फैसला ही तय करेगा कि आप अपने आपको किस मुकाम पर देखना चाहते हैं..... आप खास आदमी बनना चाहते हैं या फिर आम आदमी, दुनिया के 95% लोगो में शामिल होना चाहते हैं या 5% में ?”
डा.अजीत
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