Friday, June 6, 2014

ताप

दोस्तों ! इस बात यकीन करना मुश्किल है कि गाँव में दिन यदि चार घंटे लाइट लगातार आ जाए तो उस दिन हम इस बात की खुशी में रहते है कि आज बिजली बढ़िया चली है। याददाश्त के बिनाह पर कह सकता हूँ कि यदा कदा ही शाम को गाँव में लाइट देखी है सुबह घर के बुजुर्ग बताते है कि रात लाइट आई थी।
उत्तर प्रदेश के सम्पन्न कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उस गाँव का किस्सा कह रहा हूँ जिसकी आबादी लगभग बारह हजार है और गाँव में बिजलीघर भी है शेष यूपी के देहात का क्या हाल होगा समझा जा सकता है नेताजी के जिले या संसदीय क्षेत्र की रोशनी अपवाद हो सकती है।
सूर्य के प्रचंड ताप से खेत पर किसान खलिहान में पशु और घर पर बच्चे तप कर अपनी अपनी साधना में लीन है वातानुकूलित कक्षों के कहकहों में उनका जिक्र भी कहां शामिल होगा।
घर के एक से तीन साल के वय के बच्चें महीने भर में तीन से चार बार दस्त/बुखार की शिकायत से डॉक्टर के यहाँ जा चुके है अब बच्चा शाम को प्यार से लिपटना चाहता है तो गर्मी की आंच उसको मिनट भर में खुद से अलग कर देती है।
तपती दुपहरी में देह से टपकते पसीने की गंध को मिटा देना किसी भी देशी विदेशी डियो के बसकी बात नही है।
दो बखत स्नान और रात में छत पर मच्छरदानी लगाकर लेटने से थोड़ी राहत मिलती है रात को बारह से सुबह के पांच बजे तक जो बेसुध नींद आती है बस वही गाँव के जीवन का बोनस है इसकी तुलना एसी/कूलर और बंद कमरों की नींद से नही की जा सकती है।

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