Friday, December 17, 2010

पी.एच.डी. बनाम नेट: एक राहत भरी खबर

पहली बार इस ब्लाग के निज़ाज से अलग किस्म की पोस्ट प्रकाशित कर रहा हूँ अभी तक आपने मेरी निजी गालबजाई पढी होगी जिसमे मेरे असामाजिक किस्म के जीवन का रोजनामचा होता है वह भी नितांत की व्यक्तिगत किस्म का...। इस बार जो जिक्र महफिल मे आया है वो थोडा मेरा निजी है और बहुत सारा सभी का जो मेरे जैसे ही भाई-बन्धु है तथा उच्च शिक्षा की व्यवस्थागत खामियों के चलते प्रतिभाशाली होने के बावजूद भी तदर्थ और अंशकालिक जैसे विशेषणों के साथ मास्टरी करने को मजबूर है...उस पर यूजीसी का तुर्रा यह कि वो अपने सेवा शर्तों मे हर तीसरे महीने कुछ न कुछ बदलाव करके एक अजीब सा मज़ाक हमारे साथ करती रहती है और मज़ाक भी ऐसा कि कभी कहती है कि हम मास्टरी के लिए सर्वथा पात्र हैं तो कभी कुछ शिक्षाविदों की संस्तुतियों पर अपात्र बता कर बाहर का रास्ता दिखा देती है...बडी ही दुविधा और असमंजस के हालात हैं भईया...!

जनाब मसला यह है कि पिछले कुछ महीनों से यूजीसी ने विश्वविद्यालय और महाविद्यालों मे शिक्षक बनने की पात्रता मे कुछ बदलाव करने की कसरत की है और यूजीसी के नये रेगुलेशन की भाषा शैली बडी ही अस्पष्ट किस्म है जिसे पढकर यह प्रतीत होता है कि अब उच्च शिक्षा के क्षेत्र मे शिक्षक बनने के लिए यूजीसी नेट पास होना अनिवार्य है। यह खबर मेरे जैसे पी.एच.डी उपाधिकारक के लिए निराशाजनक थी और मेरे नेट पास मित्रों के लिए उत्साहजनक क्योंकि उन्हें लगा कि अब पी.एच.डी/एम.फिल. वालो की भीड छँट जाएगी और वे सरकारी मुलाज़िम बनकर व्यवस्था परिवर्तन कर देंगे।

बहरहाल हुआ यह है कि यूजीसी द्वारा इन नये रेगुलेशनस के सन्दर्भ में प्रो.एस.पी.त्यागराजन की अध्यक्षता मे एक विसंगति समिति का गठन किया गया जिसकी अनुशंसा पर यूजीसी ने अपनी मीटिंग संख्या 472 मे इस आशय का प्रस्ताव पास किया है जिसमे 31 दिसम्बर 2009 तक के पी.एच.डी./एम.फिल उपाधि धारक तथा 10 जुलाई 2009 तक के सभी पंजीकृत पी.एच.डी./एम.फिल उपाधि छात्र अब नेट पास होने की अनिवार्यता से मुक्त होंगे। यह एक बडी ही राहत देने वाली खबर है वरना हमारी सांसे अटकी हुई थी। मुझे इस खबर के बारे मे पहले चैन्नई के एक मित्र ने बताया था तब मैने इसकी पुष्टि करने के यूजीसी मे एक आर टी आई दाखिल की थी जिसका जवाब अभी तीन दिन पहले मुझे मिला है जिसमे यूजीसी ने आधिकारिक रुप से मुझे यह सूचना दी है कि यूजीसी के द्वारा यह निर्णय लिया जा चुका है और अभी मानव संशाधन विकास मंत्रालय के पास एप्रुव्ल के लिए गया हुआ है जैसे ही इसका एप्रुव्ल होगा इसका नोटिफिकेशन होना संभावित है।

चूंकि थोडा बहुत मै भी व्यवस्था का सताया हुआ हूँ इसलिए अपने विश्वविद्यालय मे थोडी बहुत मेरी छवि खबरिया चैनल की भाषा मे कहूँ तो आरटीआई मामलो के जानकार की बन गई है सो मैने अपने इसी हथियार का प्रयोग एक सद्कार्य के लिए किया है जो लाखों आशावादी पढे लिखे बेरोजगारो के भविष्य से जुडा हुआ है। यह सूचना मिलने पर मैने यह नही सोचा था कि मै इसे अखबार मे प्रकाशित करवाउंगा लेकिन मेरी मित्र मंडली मे मास्टर कम है पत्रकार ज्यादा सो यूं ही बातों बातों मे अपने पत्रकार एवं मास्टर मित्र डा.सुशील उपाध्याय से इसका जिक्र कर बैठा,उपाध्याय जी अभी लगभग छ महीने पूर्व ही विश्वविद्यालय मे असिस्टैंट प्रोफेसर नियुक्त हुए है इससे पहले हिन्दुस्तान अखबार मे वरिष्ठ उप सम्पादक/रिपोर्टर थें और उत्तराखण्ड मे शैक्षणिक मामलो की खबरों के मामले मे उनका कोई सानी नही था उच्च शिक्षा के मसलो पर एक गज़ब की समझ एवं विजन उनके पास हमेशा रहा है उनकी बाई लाईन खबरें अक्सर अखबार के आल एडिशन की शोभा बढाती रही है सो उनका पत्रकार मस्तिष्क सक्रिय हो गया और पूरी बातचीत के दौरान उन्होनें मुझे यह कतई आभास नही होने दिया कि यह खबर कल के अखबार मे छपने वाली है।

अगले दिन के दैनिक जागरण के आल एडिशन मे यह खबर प्रकाशित हुई और वो भी बेहद सटीक ढंग से तब से लेकर अभी तक मेरे पास लगभग पचास फोन आ चूके है पता नही इतने लोगो को मेरा मोबाईल नम्बर भी कहाँ से मिला...! यह जानकार मै थोडा उत्साहित हूँ थोडा रोमांचित और थोडा सा चिंतित भी....। चिंतित इस बात के लिए कि मेरे जैसे कितने और बहुत से भद्र पुरुष है जो व्यवस्था की कमियों से ये सब पीडा झेल रहें है।

खैर! सभी का आग्रह यही था कि उन्हें भी इस आरटीआई की एक छायाप्रति मिल जाती तो बेहतर रहता बात जायज़ भी है लेकिन सभी को इसकी प्रति भेजना मेरे लिए संभव नही है सो इसके लिए यह बीच का रास्ता निकाला है कि मैं उस रिपोर्ट का वह भाग जिसमे एम.फिल./पी.एच.डी का जिक्र हुआ उसकी एक स्कैन कापी अपने इस ब्लाग पर प्रकाशित कर रहा हूँ कृपया जिसे भी इससी आवश्यकता हो वो इसे यहाँ से कापी करके प्राप्त कर सकता है मै तो यही चाहता हूँ कि सबका भला हो...।

यदि कापी करने मे कोई दिक्कत आ रही हो तो मुझे नीचे लिखे ई मेल से बताने का कष्ट करें मै इसकी एक पीडीएफ फाईल मेल के माध्यम से भेज दूंगा।

आप सभी के प्यार,सम्मान और आग्रह के लिए तहे दिल से शुक्रिया... ये मेरा सौभाग्य है कि यदि मै आपके किसी काम आ सका।

उम्मीद करता हूं कि संवाद बना रहेगा।

शेष फिर

(अगली पोस्ट मे सारी स्कैन कापी आरटीआई की है जो पी.एच.डी/एम.फिल से सम्बन्धित हैं)

डा.अजीत

dr.ajeet82@gmail.com

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