मोहम्मद अजीज़ शब्बीर कुमार अनवर ये तीन ऐसे गायक है जो अस्सी-नब्बे के दशक में बेहद लोकप्रिय रहें है यूपी और बिहार में आज भी मोहम्मद अजीज़ के चाहने वालो की कमी नही है उनके रोमांटिक ड्युटस आज भी ऑटो/बस ने सुने जा सकते है इस दौर की पढ़ी लिखी पीढ़ी को न उनमे नाम याद होंगे और न उनके गाए सुपरहिट गीत हाँ उनको एक वर्ग विशेष की पसंद में जरुर टाइप्ड कर दिया गया है। मोहम्मद अजीज़ को बस/ऑटो ड्राईवर रिक्शा चालको की पसंद का गायक समझा जाने लगा है। मगर ये तीनो अपने अपने किस्म के अजीम फनकार रहें है सभी नही तो कुछ गीत मोहम्मद अजीज़ ने बेहद दिलकश आवाज में गाएं है चाहे वह कर्मा फिल्म का कालजयी गीत दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए या फिर फिल्म मुद्दत का रोमांटिक गीत प्यार हमारा अमर रहेगा याद करेगा ये जहां हो...ठीक ऐसे ही शब्बीर कुमार और अनवर के भी बेहद दिलकश गीत मौजूद है।
बदलते वक्त ने इस फनकारों को हमारी याददाश्त से बाहर कर दिया है मै कभी कभी इनके एकाकी जीवन की कल्पना करता हूँ तो सिहर जाता हूँ मोहम्मद अजीज़ ने खासी लोकप्रियता का समय भी जिया है अब जब उन्हें इंडस्ट्री में कोई नही पूछता है तब वो कैसे निर्वासन में जिन्दगी जीते होंगे ऐसे गुमनामी जिन्दगी जीना बेहद मुश्किल होती होगी पिछले दिनों कहीं पढ़ा था वो आर्थिक बदहाली से भी गुजर रहें है। फ़िल्मी दुनिया की कितनी छोटी याददाश्त होती है कल तक जो आपका स्टार गायक था आज गुमनाम है यही बात हम श्रोताओं की भी है हम आगे बढ़ते चले जाते है एक दौर कुमार शानू अलका याज्ञनिक सोनू निगम का था अब वो भी ढलान पर है अब अरजित मोहित चौहान या नए लोगो का दौर है। कुमार शानू को अब मै मोहम्मद अजीज की जगह जाता देखता हूँ उनके मेलोडियस सोंग्स भी अब एक वर्ग विशेष तक सीमित होकर रह गए वरना एक समय था जब रोमांटिक ट्रैक का मतलब की कुमार शानू था पुरानी आशिकी फिल्म के गीतों ने क्या धमाल मचाया था।
कुल मिलाकर मेरी तो आदत अतीत में जीने की रही है इसलिए गाहे बगाहे इन पुराने दौर के फनकारो को याद करता रहता हूँ। किशोर-रफी-मुकेश त्रयी की दुनिया से भी अलग फनकारों की एक दुनिया रही है जिन्होंने अपने फन की ताकत से अपने चाहने वाले पैदा किए अब आप उन्हें लोअर मीडिल क्लास समझ मूल्यवान न समझे तो यह आपकी समझ की सीमा हो सकती है। बड़े चेहरों के बीच खुद को जमाना बहुत हिम्मत की बात होती है हिन्दी फ़िल्मी गायकी के इन सर्वहारा का मै बड़े दिल से सम्मान करता हूँ और उन्हें उनके गीतों के माध्यम से शिद्दत से याद भी करता हूँ। भले वो आज हाशिए की जिन्दगी जी रहें है मगर मेरे लिए वो सदैव मेरे दिल के करीब ही रहेंगे उनको यादों में बचाकर रखना दरअसल उस दौर को बचाकर रखना था जब हम गुनगुनाने की सच्ची वजह अपने दिल में रखते थे आज की तरह नही कि गायक का नाम भी मुश्किल से याद रह पाता है।
बदलते वक्त ने इस फनकारों को हमारी याददाश्त से बाहर कर दिया है मै कभी कभी इनके एकाकी जीवन की कल्पना करता हूँ तो सिहर जाता हूँ मोहम्मद अजीज़ ने खासी लोकप्रियता का समय भी जिया है अब जब उन्हें इंडस्ट्री में कोई नही पूछता है तब वो कैसे निर्वासन में जिन्दगी जीते होंगे ऐसे गुमनामी जिन्दगी जीना बेहद मुश्किल होती होगी पिछले दिनों कहीं पढ़ा था वो आर्थिक बदहाली से भी गुजर रहें है। फ़िल्मी दुनिया की कितनी छोटी याददाश्त होती है कल तक जो आपका स्टार गायक था आज गुमनाम है यही बात हम श्रोताओं की भी है हम आगे बढ़ते चले जाते है एक दौर कुमार शानू अलका याज्ञनिक सोनू निगम का था अब वो भी ढलान पर है अब अरजित मोहित चौहान या नए लोगो का दौर है। कुमार शानू को अब मै मोहम्मद अजीज की जगह जाता देखता हूँ उनके मेलोडियस सोंग्स भी अब एक वर्ग विशेष तक सीमित होकर रह गए वरना एक समय था जब रोमांटिक ट्रैक का मतलब की कुमार शानू था पुरानी आशिकी फिल्म के गीतों ने क्या धमाल मचाया था।
कुल मिलाकर मेरी तो आदत अतीत में जीने की रही है इसलिए गाहे बगाहे इन पुराने दौर के फनकारो को याद करता रहता हूँ। किशोर-रफी-मुकेश त्रयी की दुनिया से भी अलग फनकारों की एक दुनिया रही है जिन्होंने अपने फन की ताकत से अपने चाहने वाले पैदा किए अब आप उन्हें लोअर मीडिल क्लास समझ मूल्यवान न समझे तो यह आपकी समझ की सीमा हो सकती है। बड़े चेहरों के बीच खुद को जमाना बहुत हिम्मत की बात होती है हिन्दी फ़िल्मी गायकी के इन सर्वहारा का मै बड़े दिल से सम्मान करता हूँ और उन्हें उनके गीतों के माध्यम से शिद्दत से याद भी करता हूँ। भले वो आज हाशिए की जिन्दगी जी रहें है मगर मेरे लिए वो सदैव मेरे दिल के करीब ही रहेंगे उनको यादों में बचाकर रखना दरअसल उस दौर को बचाकर रखना था जब हम गुनगुनाने की सच्ची वजह अपने दिल में रखते थे आज की तरह नही कि गायक का नाम भी मुश्किल से याद रह पाता है।
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