Tuesday, April 12, 2011

साधन-प्रसाधन

पिछले एक साल से संगीत से लगभग नाता टूट ही गया था जिसकी एक बडी वजह यह भी रही थी कि जबसे मैने अपना पीसी सेल किया और उसकी जगह लेपटाप खरीदा तब से मेरे पास कोई अच्छे स्पीकर भी नही थे। मेरे पास जो स्पीकर थें वे पीसी के साथ विदा हो गये अब मै कभी कभार मोबाईल पर हेडफोन लगा कर गज़ल,गीत वगैरह सुन लिया कर लिया था क्योंकि लेपटाप पर स्पीकर मे आवाज़ की क्वालिटी बेकार ही आती है।
खैर! आज मैने जी कडा करके(क्योंकि बजट अभी इसकी अनुमति नही देता था) इंटैक्स कम्पनी के 5.1 चैनल के स्पीकर खरीद लिए हैं इसे खरीदने मे मेरे मित्र डा.ब्रिजेश उपाध्याय जी ने बडा सहयोग किया इस बैगाने शहर में ब्रिजेश मेरे ऐसे अपने है जिनको मै अधिकार के साथ अपने साथ खडा कर लेता हूँ मेरी याद मे मैने अभी तक जितने भी कम्प्यूटर या इससे सम्बन्धित कोई भी सामान अकेले नही खरीदा जब भी कुछ खरीदना होता डा.ब्रिजेश जी को बोल देता हूँ वे इस तरह के मामलो के जानकार भी है और फिर उनके मित्र भी इस फील्ड में सो उनकी वजह से वाजिब दाम पर सामान भी मिल जाता है इसके लिए मै उनका भी आभारी हूँ।
आज दोपहर मे उनकी बुलट पर जाकर शिवालिक नगर से यें स्पीकर खरीदें गये हालांकि वहाँ आवाज़ सुनने में मुझे कुछ ज्यादा एक्सक्लूसिव नही लगी थी और कीमत भी ठीक ठाक ही थी लेकिन जब घर पर आकर ढंग से इंस्टाल किए तो आवाज़ सुनकर दिल खुश हो गया। आज सारी दोपहर मुझे इन स्पीकर की सेटिंग करने मे गुज़र गई मेरे साथ मेरा बेटा राहुल भी लगा रहा उसके लिए भी यह कौतुहल का विषय रहा लेकिन जब मैने उसकी पंसद के कुछ गाने तेज़ आवाज़ मे बजाए तो उसने भी जमकर ठुमके लगाए।
...तो इस तरह से आज का छुट्टी का दिन गुज़र गया अभी भी जगजीत सिंह की मीठी आवाज़ मे गज़ल सुन रहा हूँ... जख्म कैसे भी हो कुछ रोज़ मे भर जाते हैं.....। जब मै पीएचडी कर रहा था तब मेरे पास एक स्टीरियो हुआ करता था और एक अटैची भर कर कैसेट्स हुआ करती थी साथी लोग मुझसे डिफरेंट् मूड के लिए गाने रिकार्ड कराने के लिए लिखवा कर ले जाया करते थे और मेरे पास भी अपना एक बढिया कलेक्शन हुआ करता था। मेरे जेबखर्च का एक बडा हिस्सा संगीत और साहित्य पर ही खर्च हुआ करता था अब तो सब कुछ आनलाईन और यू ट्यूब पर ही मिल जाता है।
कल विश्वविद्यालय खुलेगा फिर परसो की छुट्टी है इस तरह से अभी आराम ही चल रहा है बाकि जिन इंटरव्यूव को लेकर मै अतिरिक्त रुप से जिज्ञासु था अब उसके बारें में जो खबरे सुत्रों के माध्यम से छन-छन कर आ रही हैं वो बडी निराशा पैदा करने वाली है अब सुना जा रहा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन अब 3 मई के बाद ही साक्षात्कार के बारे कुछ फैसला लेगा क्योंकि अब विश्वविद्यालय का एक वाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिसमें 3 मई सुनवाई की तारीख लगी हुई है सो अब प्रशासन का प्राईम फोकस अपनी पैरोकारी पर है सो अब पता नही साक्षात्कार आयोजित होंगे भी या नही...यानि कुल मिलाकर कहानी का लब्बो लुआब यह है कि अभी जीवन में अनिश्चितता के बादल जल्दी छंटने वाले नही हैं...। यह खबर मेरे समेत मेरे शुभचिंतको/हितचिंतको को भी इतना ही निराश करने वाली ही लेकिन क्या किया जा सकता है सिवाय प्रतिक्षा के...।
अब विश्राम लेता हूँ....बाकी बातें बाद में।
डा.अजीत

2 comments:

  1. अजीत जी देर है मगर अंधेर नहीं है | आप तब तक संगीत का आनंद लीजिये | ३ मई का इंतजार को क्या होना यह भूल जाइये
    अच्छा ही होगा , शुभकामनायें

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  2. संगीत का आनंद लेते रहें...

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