Thursday, February 17, 2011

इंटरव्यूव

ये तकरीबन 2009 की बात है जब मुझे सुबह-सुबह मेरे एक शुभचिंतक ने फोन पर यह सूचना दी कि जिस पद पर मै तदर्थ काम कर रहा हूँ वह पद विश्वविद्यालय मे स्थाई नियुक्ति के लिए प्रकाशित किया है। निसंदेह मेरे लिए यह एक उत्साह देने वाली खबर थी फिर मैने पुरे मनोबल के साथ इस पद के लिए विधिवत ढंग से आवेदन भी किया,धीरे-धीरे वक्त गुजरता गया इस उम्मीद पर कि जल्दी ही साक्षात्कार आयोजित होंगे और मुझे भी अपनी किस्मत आजमाने का मौका मिलेगा लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुरे दो साल बीत जाने पर भी आजतक उन पदों की नियुक्ति के लिए कोई कदम नही उठाया जिससे मुझे खासी निराशा हो रही है।
बीच-बीच एकाध बार अफवाह की शक्ल मे यह सूचना भी मिलती रही कि बस अब अगले महीने साक्षात्कार होने ही वालें है। इसी दौरान यह एक बडा परिवर्तन हुआ कि इस शैक्षणिक सत्र से मेरे विभाग के विभागाध्यक्ष दूसरे प्रोफेसर बन गये हैं मतलब पहले हेड मेरे गुरुजी थे अब उनका टर्म तीन साल बाद ही आयेगा। वर्तमान हेड और मेरे गुरुजी मे छत्तीस का आंकडा रहा है वैचारिक स्तर पर सो यह भी एक मुश्किल हालत रही है मेरे लिए लेकिन जैसे तैसे मै अपने तदर्थ रुप काम करने मे सफल रहा अन्यथा वर्तमान हेड साहब को मेरी शक्ल पसंद नही है।
इस बडी भूमिका लिखने का प्रयोजन यह है कि अब फिर यह खबर छन-छन कर आ रही है कि आगामी मार्च-अप्रैल में विश्वविद्यालय साक्षात्कार की एक श्रृंखला आरम्भ करने जा रहा है जिसमें अपने वाले पद का भी नम्बर आयेगा इस बार खबर कुछ पुष्ट सुत्रों से आ मिली है सो फिर से एक मानसिक हलचल से गुज़र रहा हूँ। जब यह पोस्ट प्रकाशित हुई थी तब मेरे गुरुजी हेड थें तब तो साक्षात्कार हुए नही जिसमें मेरे चयन होने के प्रबल संभावना भी थी और अब जब दूसर खेमे के हेड है तब साक्षात्कार का आयोजन हो रहा है। हालांकि मै बडी शिद्दत से इस दिन का इंतजार कर रहा था क्योंकि अब मै जीवन मे एकतरफा होना चाहता हूँ तदर्थ ज़िन्दगी जीते-जीते चार साल होने को जा रहें है।
बहरहाल, अब देखतें है कि क्या होता है? आपको बताता चलूँ कि फिलवक्त हम विभाग में तीन असि.प्रोफेसर है जो तदर्थ रुप से कार्य कर रहें है और तीनों ही यहाँ स्थाई होने के प्रबल अभिलाषी हैं अब देखतें है कि किसका सितारा चमकता है और कौन गेम से आउट होता है। सबके अपने-अपने समीकरण है और स्थाई होने के अपने-अपने तर्क।
जैसे ही इस संभावित साक्षात्कार की कोई नियत तिथि मेरे संज्ञान मे आती हैं मै फिर से आवारा की डायरी के कुछ पन्ने काले करुंगा सो अब के लिए इतना ही...।
तब तक हो सके तो मेरे लिए दुआ कीजिए....।
डा.अजीत

1 comment:

  1. भगवान करे आप की मनोकामना पूर्ण हो और इंतजार खत्म हो, खेमेबाजी के अपने नफ़ा और नुकसान हैं, पर उसके बिना गुजारा भी नहीं। कौशिश कीजिए कि वर्तमान हेड के साथ आप का छत्तीस का आकंडा न बने

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