Friday, October 22, 2010

बेशर्मी

इसे हद दर्जे की बेशर्मी कही जा सकती है कि जिस आत्मीय मित्र से अपने एकांतवास के चक्कर संवादहीनता की स्थिति पैदा कर ली थी कल जैसे ही मुझे उनसे कुछ काम पडा मै अधिकारपूर्वक उन्हें फोन किया और ये उनकी सदाश्यता ही है कि उनसे जो भी बन पडा उन्होने किया बिना किसी संकोच और देरी किए हुए। मसला यह है कि मुझे आज यानि शनिवार की रात को जालन्धर जाना है अपने एक मित्र के साथ और मैने जैसे ही टिकिट बुक कराना चाहा तो पता चला कि लम्बी वेटिंग चल रही है जैसे तैसे मैने अपना टिकिट बुक करवा लिया इस उम्मीद पर कि मेरे एक मित्र जो प्रदेश के काबीना मंत्री के जनसम्पर्क अधिकारी अपनी शासकीय शक्तियों का प्रयोग करके इस टिकिट को कंफर्म करा देंगे उनका जो अलग से कोटा होता है उसी से मै उम्मीद लगाए बैठा हूं उन्होने मंत्री जी एक चिट्टी भी मेरे पास भेज दी है इसी आरक्षण कोटे के सन्दर्भ मे इनमे एक टिकिट मेरे छोटे भाई का भी है जिसे 31 को दिल्ली जाना है उसका भी वही वेटिंग का पंगा है लेकिन मै अपने मित्र मनोज अनुरागी का आभारी हूं कि मेरी बदतमीजियों के बाद भी उन्होने अपने स्तर से यथासंभव प्रयास किए उम्मीद करता हूं कि दोनो टिकिट कंफर्म हो जाएंगे और हम राजकीय अतिथि बनकर यात्रा करेंगे।

अपने छोटे भाई से पैसे उधार लेने का सिलसिला बदस्तूर जारी है अधिकारपूर्वक अब देखता हूं कि कब उस बेचारे का सब्र टूटता है और वो साफ मना करके मुझे अपने बडे होने का अहसास कराएगा।

आज का जाने कार्यक्रम अभी तक तो तय है मेरे गुरु भाई डा.ब्रिजेश उपाध्याय जी के साथ मुझे जालन्धर जाना है कुछ कनाडा जाने के सिलसिले मे बातचीत करनी है।

अब देखते है कि किस्मत विदेश यात्रा का योग बनाती है या नही...।

डा.अजीत

No comments:

Post a Comment