Tuesday, October 12, 2010

आम बात

आज का दिन कोई खास नही रहा बस यूं ही कट गया दिन मे विश्वविद्यालय मे रहा आज बहुत दिनों बाद दोपहर समय लंच करने के लिए घर आया था वरना सुबह दस बजे जाकर तीन बजे वापसी होती है,आज भी मुझे एक आवश्यक मेल करनी थी दोपहर को घर आ गया लेपटाप विश्वविद्यालय लेकर नही जाता हूं वरना कुछ फालतू किस्म के काम करने पड जायेंगे।

अपने सहकर्मी डा.विक्रम सिंह को एक बाईक खरीदनी है लेकिन वें इस दुविधा मे हैं कि नई बाईक ले या थोडी पुरानी मिल जाए मैने उनको नई बाईक खरीदने की सलाह दी और उनको अपनी बाईक पर बैठा कर हीरो होंडा के शो रुम पर लेकर गया ढेर सारी बाईक देखने के बाद उनका मन इस बात पर सहमत हुआ कि नई बाईक लेना ज्यादा ठीक रहेगा...अब देखने वाली बात होगी कि वे कौन सा विकल्प चुनते नई या पुरानी।

घर पर लौटा तो देखा बालक टी.वी. पर पोगो देख रहा है और पत्नि विश्राम मुद्रा मे लेटी हुई है आज खाना नही खाना था सो मेरे आने पर उसकी ऊर्जा मे कोई खास अंतर नही आया वो यथावत लेटी रही।

मेरे बडे भाई जोकि एक सर्ज़न है और अजमेर रहते हैं आज दिन मे उनका फोन आया था कि वें इस बार दीपावली पर घर नही आ पाएंगे सो वे विजयदशमी पर ही गांव आ रहें है उन्होनें मुझ से मेरा कार्यक्रम पूछा मै अभी तक असमंजस मे हूं कि क्या करुं? एक मन हो रहा है कि चला जाउं और एक मन यह है कि दीपावली पर तो जाना है अभी ना जाया जाए लेकिन बडे भाई,भाभी और उनके एक साल के छोटे बालक से मिलने का लोभ भी मन मे रहा है और फिर गांव से आए हुए भी बहुत दिन हो गयें। इस बारें मे जब पत्नि की सलाह ली तो उसने साफ मना कर दिया कि वह नही जाएगी उसको आजकल यात्रा में उल्टी की शिकायत है फिर उसकी सेहत भी आजकल कुछ ठीक भी नही है शरीर से थकी-थकी सी और मन से बोझिल सी रहती है।

फिर मै थोडी देर के लिए सो गया उठने पर पत्नि ने छत पर चलने का प्रस्ताव रखा मैने कहा मैने किसी कार्य के लिए बाहर जाना है उसने तपाक से पूछा कहाँ? इस बार मुझे बहुत खीज़ हुई और सख्त लहजे मे कह दिया कि किसी से कहाँ पूछना ठीक नही है। बस इसके बाद मैने मुहँ धोया और अपनी बाईक पर सवार हो कर निकल गया उसके बाद अभी-अभी लौटा हूं जिस काम से गया था वह भी नही हुआ सो अजीब से मनस्थिति है अभी हाँ एक काम मैने जरुर किया विशाल मेगा मार्ट के पास की चाट की ठेली पर गोल-गप्पे,चाट और टिक्की जमकर खाई और फिर लौट आया इसे आप मेरा चटोरपना भी समझ सकतें है या फिर टाईम पास का एक स्वादयुक्त साधन...।
आज का किस्सा बस यही खत्म...।
डा.अजीत

1 comment:

  1. पत्नी के पूछने पर खीजे इसी लिये काम नहीं हुआ, उसे भी गोलगप्पे खिलाए होते तो काम जरूर हो जाता

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