Sunday, October 10, 2010

बहस

अभी-अभी छत से टहल कर लौटा हूं शाम की जागिंग तो छूट ही गई अभी थोडी देर बाद थोडे से राज़मा चावल खाने के बाद उसके आग्रह पर छट टहलने चला गया था। वो घर के सामने खाली पडे प्लाट से थोडी सी मिट्टी लाने के लिए मुझ पर कल से दवाब बना रही है कह रही कि एक तसले मे धनिया बोना है जिससे वो ताजे हरे धनिए का प्रयोग रोज़ाना दाल-सब्जी मे कर सकें और मै उसको नैतिकता का पाठ पढा कर अपना पिंड छूटाना चाह रहा था हालांकि वह समझ गई कि यह मेरे मिट्टी न लाने का बहाना है कि पिछले जन्म के संचित कर्मो का फल इस जन्म मे भोग रहा हूं और अगर इस जन्म मे मैने मिट्टी की चोरी की तो फिर अगले जन्म मे क्या भोगना पडे? और भी बहुत सी बातें की हमने जैसाकि मैने भविष्य मे पक्षाघात या नर्वस ब्रेक डाउन की भविष्यवाणी की जिस पर मेरी पत्नि मेरे ज्योतिष ज्ञान पर बिफर पडी और अपनी नाराज़गी जाहिर की मैने उसको मात्र अपने भविष्य का ज्योतिषीय दृष्टिकोण से एक फलादेश सुना दिया जो उसको बिल्कुल अच्छा नही लगा बस फिर एक छोटी से बहस के बाद यह विषय समाप्त हो गया,पत्नि का मानना है कि मै अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग नही हूं बल्कि अपने चटोरेपन के कारण अगडम-बगडम चीजे खाता रहता हूं...मैने जैसे ही अपने पक्षाघात के स्वरुप की बात करतें हुए उसका अभिनय किया तो पत्नि को बहुत बुरा लगा यह उसकी मेरी स्वास्थ्य को हितचिंता है और अपने भविष्य की सुरक्षा तलाशनें की एक वजह भी है।

ये तो अक्सर होता ही रहता है हमारे बीच मे लेकिन जो मैने भविष्यवाणी वह दरअसल एक दस्तावेज़ है आने वाले कल एक संभावना का जिसका साक्षी मैने आज अपनी पत्नि और आपको इस ब्लाग के माध्यम से बनाया है। कल को देखना मुझे नही आता लेकिन एक ऐसा पूर्वाभास जरुर हो जाता है जब अपने साथ कुछ गलत होने का अंदेशा हो...हो सकता कि मै पूर्णत: गलत हूं।

आज बच्चे के लिए एक अंग्रेजो के जमाने का सिक्का लाया हूं एक ज्योतिषी की सलाह को उसको रविवार मे पहनाना है ताकि सूर्यदेव उस पर कृपा बनाएं रखें यह सिक्का मुझे तीस रुपये मे मिला है सिक्के बेचने वाले नी पचास रुपये मांगे मैने कहा भईया पहली बात तो यह है कि मै हरिद्वार का ही रहने वाला हूं कोई यात्री नही हूं सो सही पैसे बता और दूसरी बात यह कि आज के दिन तो पचास रुपये से भी कम मे एक डालर मिल जाएगा ये तो आउटडेटड सिक्का है वो बोला मुझे नही पता डालर क्या होता है...खैर वो मेरी आवाज़ की टोन से समझ गया था कि मै यहीं का बन्दा हूं फिर सौदा तीस रुपये मे पट गया हालांकि बाजार के जानकारों ने मुझे बताया कि उसकी वास्तविक कीमत साढे सात रुपये है जो मौल-भाव के बाद पन्द्रह रुपये तक मे मिल जाता है, मतलब यहाँ भी मै ठगा ही गया है दूनियादारी की तरह फिर ज्यादा मौल-भाव करने का कौशल मुझ मे है भी नही। अपने लिए एक पन्ने की अंगुठी लाया हूं जो पहले से ही आर्डर दिया हुआ था वो आज मिल गई आने वाले बुधवार मे धारण करुंगा। अब तो नवग्रह आदि से जिसमे शनिदेव,शुक्र और मेरे लग्न के स्वामी बुध ग्रह से यहाँ करबद्द हो कर प्रार्थना है कि मुझ पर अपनी कृपा बनाएं रखें...वैसे ही आजकल वक्त बुरा चल रहा है।

बस भईया अब थक गया हूं कल की बातें कल देखी जाएंगी....।

डा.अजीत

1 comment:

  1. सब ग्रहों की कृपा बनी रहे और आप नियमित लिखते रहें..पन्ना तो आप ले ही आये हैं..लिखत पढ़त बढ़ना चाहिये अब तो . :)

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