Monday, October 4, 2010

अंतराल

मित्रों,माफी चाहूंगा कि दो दिन से इस आवारा डायरी के पन्ने खाली पडे हुए थे जिसकी दो वजह थी एक तो मेरा प्रमाद(आलस्य) दूसरा यह कि कल अचानक मेरी नज़र पडी कि जिस वर्ड की फाईल मे, मैं आफलाईन ब्लागस के लिए लिखता हूं वह फोल्डर डी ड्राईव से गायब हो चूका है कल यह देखतें ही मेरे प्राण पखेरु उड गये थें क्योंकि मेरे दो साल के लेखन का लेखा जोखा उसमे था अपने तकनीकि मामलों के जानकरों से घबराहट के साथ पूछा कि क्या किसी भी तरह उनकी रिकवरी संभव है सबने अपने-अपने रास्ते बताएं लेकिन सब बेकार मे सिद्द हुए मेरा छोटा भाई जो इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजिनियर है उसने सबसे पहले मेरा ढांडस बंधाया कि भाई आप फिक्र करें फोल्डर वापस जाएगा जिसे सुनकर दिल को तसल्ली हुई लेकिन उसने फोन पर जो भी दिशा-निर्देशन दिया मै करता गया फिर भी वह फोल्डर नही आया सिस्टम रिस्टोर भी किया लेकिन सब बेकार मुझे अपने आप पर गुस्सा रहा था उसकी वजह यह थी कि मै यह सोच रहा था कि मैने इतने महत्वपूर्ण डाटा का कोई बैक अप क्यों नही तैयार किया इतना बेफिक्र कैसे जीया जा सकता है मुझे अपने अच्छे वक्त के दोस्त अभिषेक की एक बात बार-बार याद रही थी जब मै उसको अपनी बाईक पर पीछे बिठा कर घुमावदार रास्तों पर अपनी कलाबाजी दिखाते हुए बाईक चलाता था ताकि उसके डर का मज़ा ले सकूं लेकिन वो डरता नही थी बस एक बात कहता था उसका दार्शनिक अर्थ मुझे कल समझ मे आया वह कहता था अजीत जी आज के वक्त में इंसानो पर भरोसा नही किया जा सकता आपका एक मशीन(बाईक) पर इतना भरोसा कैसे कर सकते है? अगर यह दगा दे गई तो मुश्किल मे पड जाओंगे। कल वास्तव मे मशीन दगा दे गई और मुझे अपना दोस्त अभिषेक याद आया और खुद पर खीझ हुई, अपने पर खीझ इस बात से हुई कि कल मेरे लेपटाप को अमित (पी.एच.डी.छात्र) ने भी प्रयोग किया था अपने वाईवा की तैयारी के लिए मुझे उस पर शक हो रहा था कि कही कही उसी से यह फोल्डर डीलिट हो गया है और वह अनजान बन कर मुझे डर के मारे मुझे बिना बताएं चला गया। बहुत देर तक परेशान रहने के बाद फिर किसी तरह छोटे भाई की सलाह से ही वह फोल्डर मुझे वापस मिल गया लेकिन दो घंटे की मशक्कत के बाद,बडी राहत मिली सच कहूं तो यें दो घंटे मेरे उपर कितने भारी गुजरे मै शब्दों मे ब्याँ नही कर सकता हूं।
कल मै शारीरिक रुप से भी थका हुआ था कुछ ज्यादा ही दौड लगा ली थी जोश-जोश मे शाम के समय जब जागिंग के लिए गया था और आने के बाद लेपटाप से डाटा गायब होने की खबर ने मुझे मानसिक रुप से भी थका दिया फिर उसके बाद कुछ लिखने का मन ही नही हुआ सो इस डायरी की नियमित किस्सागोई पर दो दिन का ब्रेक लगा उसके लिए मै आप सभी से माफी चाहूंगा...वैसे तो मेरी बातें निजी किस्म की बकवास ही होती है जिसमे कम ही लोगो को पढकर कुछ पाठकीय सुख मिलता होगा लेकिन मुझे अपनी भडास उगल कर बडी राहत मिलती है तभी रात मे सो पाता हूं अब कुछ इस ब्लाग से ज़ज्बाती किस्म का रिश्ता बन गया है। परसों मै सपरिवार(पत्नि,बच्चे) के साथ अपने मित्र योगी की बेटी को देखने के लिए अस्पताल गया था पहले यह सोचता रहा कि वें लोग जब घर जाएंगे तब घर पर ही चले जाएंगे लेकिन फिर सोचा अभी उनको एकाध दिन और लगेंगे अस्पताल मे क्योंकि उनकी नवजात बेटी को इंफेक्शन हो गया था सो अंडर मेडिकल सुपरविज़न थी अभी... बडी सुन्दर बेटी पैदा हुई है अपने बाप पर है शक्ल....अस्पताल मे लगभग दो घंटे बिताए मै और योगी औपचारिक बातें करते रहें बाहर बैठकर दूनियादारी की बातें...फिर अचानक ख्याल आया कि बाहर चल कर कुछपीकर आया जाए लेकिन जैसे ही हम पहूंचे तो पता चला सभी दूकाने बन्द है बापू गांधी की जंयती के अवसर पर.... फिर वापस अस्पताल गये मैने कहा कि कल आता हूं फिर होगा यह कार्यक्रम योगी पर एक ट्रीट बन गई है अब बेटी होनें के उपलक्ष मे लेकिन अगले दिन मै खुद ही नही जा पाया और दिन भर बेतरतीब ढंग से पडा रहा शाम का किस्सा अभी मैने उपर लिखा ही है कितने तनाव से गुजरा। रात मे मेरे आने पर योगी ने अपनी नाराज़गी जताई और साथ मे तीन दिन बाद अस्पताल मे पहूंचने का मलाल भी...यह मलाल पढकर मुझे अच्छा ही लगा क्योंकि इसमे अपनेपन की एक खुशबु रही थी लगता है कि मै जो रिश्तों पर जमी धुंध छटने की दुआ कर रहा था वह कबूल हो रही है। एसएमएस बाजी से ये तय हुआ कि हम जल्दी एक पार्टी करने वालें है ये भी ठीक ही है बस अब दुआ यही है कि हम जब साथ बैठे तो कडवे अतीत की बातें हो सब अच्छी-अच्छी बातें हो आज की या फिर आने वाले कल ही.... पार्टी के किस्से पर मै अलग से एक पोस्ट लिखूंगा... आज के लिए इतना ही आपने जो प्यार दिया उसके लिए आभार और कृतज्ञ शब्द बहुत बौने है...
डा.अजीत

3 comments:

  1. Hope the system will be restored soon. wishing you early recovery of the missing folder.

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  2. DR AJEET SAHAB
    JAISA KI APNE LIKHA KI BLOG MEIN LIKHI APKI BAATEIN NITANT NIJEE EVAM BAKWAAS HOTI HAI, LEKIN MERE DIL KI BHADAAS NIKAL JATI HAI OR MUJHE NEEND ACHHI AATI HAI.
    SIR (ACCORDING TO MY OPENION) JINDAGI KA YAHI FALSAFAA HONA CHAHIYE KI AAP KHUDKO KIS TARAH SE TANAV RAHIT RAKH SAKTE HO, BAS USI TARAH SE JINDAGI KO JIYE CHALO, ISSE JO ANAND MILTA HAI USKA WARNAN NAHI KIYA JA SAKTA, SHAYAD MAIN KHUD BHI ISI SHAILLY SE JINDAGI JEENE KA AADI HU ISLIYE IS TARAH KI JEEVAN SHAILLY PASAND KARTA HU.
    NAYE LEKH KE INTJAR ME SHUBHKAMNAON KE SATH
    UMMAID SINGH GURJAR

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  3. gurjar ji ki tippani bahut hi prabhavshaali rahi ,jeevan me har kshan jaise bhi ho kuchh sikh de jaate hai ,sundar lekh .

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